पहली मुलाकात और पायल
उस दिन जिंदगी जैसे मुझपर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गई थी जब मेरी जिंदगी में उसे हसीन ख्वाब की तरह उसे शामिल किया था। सफ़ेद कढ़ाईदार कुर्ता और जीन्स पहने उसने कालेज में प्रवेश किया था। वक्त जैसे मानो थम सा गया था। मेरे करीब आते उसके हर एक कदम के साथ मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था।
"एक्सक्यूज मी, यह बीटैन किस तरफ पड़ेगा।" उसने मेरे पास आकर पूछा तो मैं उसकी कोयल सी सुरीली आवाज में खो गया। कहां खड़ा हूं, आस पास की सब बातें भूलाकर बस एकटक उसे ही देखने में व्यस्त हो गया था। यह भी भूल गया था कि मुझसे कोई जवाब ना पाकर वो आगे बढ़ चुकी थी लेकिन ख्वाबों में वो वैसे ही मुस्कुराती हुई अब भी मेरे सामने ही खड़ी थी। उसकी पायलों की खनखन शहनाईयां बन कर मेरे कानों में गूंज रही थीं और तब तक गुंजती रही जब तक नालायक राजू ने आ कर मेरे कानों में जोर से चिलाते हुआ पुछा।
"अबे कबीर तु बुत बन कर यहां क्यूं खड़ा है? कब से आवाज दे रहा हूं। जल्दी चल, लैक्चर का टाइम हो गया है।" जैसे ही आगे बढ़ा तो अचानक महसूस हुआ कि पांव के नीचे कुछ था। नीचे झुक कर देखा तो ऐसा लगा जैसे किसी गरीब को कोई बेशकीमती खजाना मिल गया हो। वो एक सुंदर और आकर्षक पायल थी जो शायद उसी बीटैन वाली लड़की की थी। मैंने चुपचाप उठा कर अपने बैग में डाल ली। सोचा इसी बहाने से उससे मुलाकात हो जाएगी और थोड़ी बहुत बातचीत भी।
क्लास खत्म होने के बाद जब हम कैंटीन में जा रहे थे तो अचानक राजू किसी को देखकर मेरे पीछे छिप गया। कारण पूछा तो उसने बताया कि सुबह एक लड़की से मेरी बहस हो गई थी तो मैंने उसे कुछ ज्यादा ही बाते सुना दी थी, जिस बात पर बहस हुयी थी उसमे मैं गलत साबित हो गया, क्यूंकि क्लास में सवाल को हल करने के लिए अध्यापक ने वही फार्मूला बताया जो की ये लड़की बता रही थी, लेकिन मुझे कुछ गड़बड़ लग रही थी इसलिए मैंने उसके साथ उस सवाल को लेकर बहस बाज़ी शुरू कर दी, और ना जाने उसे क्या कुछ कह दिया, यहाँ तक की टीचर की चमची तक कह दिया था, लेकिन अब मुझे बुरा लग रहा है। उसने सामने इशारा करते हुए कहा कि वो सामने से ही आ रही है। जब सामने देखा तो वही पायल वाली लड़की नालायक राजू को घूरते हुए हमारी तरफ चली आ रही थी। पास आकर उसने हम दोनों को बहुत गुस्से में देखा। इससे पहले कि वो सबके सामने हम दोनों पर अपनी पूरी भड़ास निकालती। मैंने उससे पहले ही माफ़ी मांगने वाले अंदाज में हाथ जोड़ दिए।
"देखिए सुबह जो भी हुआ, उसके लिए हमें माफ कर दीजिए। सुबह मैं किसी सोच में गुम था जब आपने मुझसे कोई पता पुछा था। इस लिए आपको कुछ नहीं बता पाया। (झूठ बोल दिया)।" मेरे माफी मांगने पर उसका गुस्सा ठंडा हो गया।
"और यह आपकी पायल जो सुबह वहीं गिर गई थी।" पायल को देखते ही उसकी खोई हुई मुस्कान वापस लौट आई।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद, जो आपने इसे संभाल कर रखा। यह मेरी मां की आख़री निशानी है। इस लिए मैं इसे जान से भी ज्यादा संभाल कर रखती हूं। आज पता नहीं कैसे गिर गई। मेरा नाम स्नेहा है। उसने मुस्कुराते हुए अपना हाथ आगे बढाया तो मैंने तुरंत उससे हाथ मिला लिया। मेरी और स्नेहा की पहली मुलाकात इस तरह हुई थी। जो तीन साल तक चली जिसमें बहुत सारे उतार चढ़ाव आए।
क्रमशः
वानी
30-Jan-2023 09:53 PM
Nice
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Vedshree
30-Jan-2023 02:05 PM
Bahut achhi rachana 👌
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Naresh Sharma "Pachauri"
29-Jan-2023 03:18 PM
अति सुन्दर
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